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Showing posts from June, 2007

हम पंछी उनमुक्त गगन के

पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले

रात युँ कहने लगा मुझसे गगन का चाँद

आभार

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती

बसंती हवा